मूलतः पत्रकार हूं, पेशे से विधि विशेषज्ञ-शिक्षक। खबरों की दुनिया में रोजाना परीक्षा और रोजाना रिजल्ट, बहुत-कुछ सीखा-किया। करियर की शुरुआत 1992 में दैनिक 'आज' से की, पांच साल तक अखबार की बारीकियां सीखीं। फिर दो साल अमर उजाला, सात साल दैनिक जागरण और तीन साल जागरण समाचार पत्र समूह के द्वैभाषिक अखबार 'आई नेक्स्ट' में रहा। पत्रकारिता की दुनिया में बाई-लिंगुअल समाचार पत्रों के इस नए और अनूठे प्रयोग आई-नेक्स्ट के मेरठ और फिर आगरा में लांचिंग का अनुभव। पत्रकारिता के हर अंग यानि रिपोर्टिंग, संपादन, खबरों के प्रस्तुतिकरण और टीम के मार्गदर्शन का सदैव बेहतर प्रदर्शन। फिर करीब चार साल तक हिंदी अखबार 'पुष्प सवेरा' में समाचारों से जुड़े हर दायित्व का निर्वहन किया। जेलों में मानवाधिकारों की स्थिति पर शोध भी किया है मैंने। वकालत का भी भरपूर अनुभव।
फिलहाल, शिक्षक, विश्वविद्यालय में प्रोफेसर (शोध) और सलाहकार के तौर पर कुछ अखबारों का कन्सल्टिंग एडिटर। नए भविष्य का शिल्पकार। अभी तक पांच पुस्तकों का लेखन किया है, तमाम शोध पत्र प्रकाशित हैं। हर क्षेत्र में चुनौतियां हैं और चुनौतियां जहां हैं, वहीं शिक्षा है, वहीं सीखने-सिखाने का आनंद है।